दुनिया का शब्दकोश
जहाँ मैं पली – बढ़ी उन मनुष्यों में अहंकार का आदिवास था
इतनी उथली थी उनकी गागर कि
बात - बात में छलक जाती थी
कमज़ोर फिनाइल पी लेते
बहादुर तलवार - लाठी लेकर
दूसरों को मारने निकल पड़ते.
मैं कभी इतनी बहादुर न
हुई
कि मर जाने का सोचूं
मैंने मृत्यु को तवज्जोह देने लायक क्षणों में भी जीवन को चुना
मौत के करीब आदमी के मन
में
जीवन के दृश्य होते हैं
मृत्यु के पार क्या है?
कौन जानता है.
अपमान के जवाब में मन में
हमेशा दुःख रहा प्रतिशोध नहीं
यह भी सोचने की बात है कि
इस दुनिया में आत्मरक्षा
के नाम पर
रिवाल्वर का लाइसेंस ख़रीदा
जाता हैं
बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं
भय ने बिना शोर किये शब्द
की परिभाषा बदल दी
हम कुछ न कर पाए.
कोई गलती इस दुनिया की
बुनावट में ही है.
औज़ार गला कर हथियार बनाने
के नारे यहाँ आम हैं
लेकिन कोई नारा यह नहीं
कहता कि हथियारों को गलाकर औज़ार बना लो
भाषा के मुहावरों में शौर्य
और क्रोध हर जगह ओवररेटेड है
कला बिचारी प्रेम की
भांति हर जगह अपमानित
आप गला ठीक से काटना जानने
को कला न कह देना
कुछ लोग प्रतिहिंसा को न्याय
कह देते हैं.
और प्रेम में डूबे मनुष्य
को नकारा
युद्ध के रसिकों को न
सन्यासी पसंद आते हैं न प्रेमी.
डिक्शनरी से याद आया,
अक्सर मैं यह सोचती हूँ
डिक्शनरी सी होनी चाहिए दुनिया
जहाँ हर लफ़्ज के लिए जगह हो
और हरेक लफ़्ज काम आ सके
दूसरे लफ़्ज के अर्थ को साफ़ करने के लिए.
(प्रभात खबर होली विशेषांक २०१९ में प्रकाशित.)
आम शब्दों से खास अर्थ प्रस्तुत करने की कला कविता है,पर यह बेचारी नहीं। इनके भावार्थ से गुजरना हमेशा सुखद होता है। बधाई ....👍👍
ReplyDelete....
अक्सर मैं यह सोचती हूँ
डिक्शनरी सी होनी चाहिए दुनिया
जहाँ हर लफ़्ज के लिए जगह हो
और हरेक लफ़्ज काम आ सके
शुक्रिया.
Deleteहर सामान्य है, साधारण है लेकिन उसने जो अर्थ दिया है वह अंतर्मन तक पहुँचने वाला है-
ReplyDelete"भय ने बिना शोर किये शब्द की परिभाषा बदल दी।"
आभार, टिप्पणी का.
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
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