मेरे साथ परछाइयों की एक फौज चलती है
जिससे उजाले में रहने वाले भाग्यशाली लोग असहज होते हैं
जिन्हें खुश रहने से अलग कुछ पसंद नहीं है
जिससे उजाले में रहने वाले भाग्यशाली लोग असहज होते हैं
जिन्हें खुश रहने से अलग कुछ पसंद नहीं है
वे मुझसे
पूरी शिद्दत से नफ़रत करते है
मैं सुखान्त कहानियों के उत्सवों में
शोक की
अनंतिम गाथाओं के प्लॉट
लिए घूमती हूँ
लोगों की चमकीली नज़रें मुझपर पड़ते ही
लोगों की चमकीली नज़रें मुझपर पड़ते ही
छायाओं
के वश में आकर चितकोबरी हो जाती हैं
मैं दूध में गिरा नमक हूँ
सुवासित भात खाते वक़्त दांतों के बीच आया कंकर हूँ
मैं दूध में गिरा नमक हूँ
सुवासित भात खाते वक़्त दांतों के बीच आया कंकर हूँ
सबसे
कमज़ोर कराह सुनने के लिए मैंने
बीच
महफ़िल पुरजोर झनकती वीणा के तार पकड़े
मैं
सुरों की अपराधी मानी गयी
मैंने पाप के रंग को चुटकियों में मसलकर देखा
बहुमूल्य
पुण्य की गठरियाँ पानी में बहा दी
मैं
पुण्य और उपयोगिता की एक बराबर हँसी उड़ाती हूँ
साथी
कवियों की तरह
मैंने कभी कविता के भविष्य की चिंता नहीं की
मुझे पता है कविता रहेगी दुःखों की जर्जर कथरी में
आशा के वफ़ादार पैबंद की तरह
तकलीफों की भीषण झांझ बरसात में
कमज़ोर लेकिन जी जान लगाकर खड़ी जर्जर झोपड़ी की तरह
मैंने कभी कविता के भविष्य की चिंता नहीं की
मुझे पता है कविता रहेगी दुःखों की जर्जर कथरी में
आशा के वफ़ादार पैबंद की तरह
तकलीफों की भीषण झांझ बरसात में
कमज़ोर लेकिन जी जान लगाकर खड़ी जर्जर झोपड़ी की तरह
दुनिया
में कविता तब तक रहेगी
जब तक
दुनिया में दुःख रहेंगे.