मृत्यु से पहले
एक कथा में मैं ऐसा
किरदार हूँगी
जिसे बाल सँवारने से नफ़रत
है
तुम अपनी
उंगलीयों के पोर पर
केश – तैल की कटोरियाँ ऊगाना.
कड़ी धूप में चप्पल के
निचे रहने वाले
विनम्र अँधेरे की तरह
हरी पत्ती के नीचे
मासूम नींद सो रही तितली
की तरह
हम कुछ वक्त छाया और सुख
में रहेंगे
आज के बाद पूरी ज़िन्दगी
हम एक गीत गुनगुनायेंगे
और सब जान जायेंगे यह रहस्य कि
कगार पर खड़े वृक्ष है हम
सांझ की बेला हमारी
छायाएं आगे बढेंगी
एक दूसरे से लिपट
जायेंगी.
राहत की एक साँस बनकर
आएगी मृत्यु
जो हमने भोगा
हमें एक दूसरे से हमेशा
के लिए जोड़ देगा.