बहुत महंगी जूतियाँ खरीदने के लिए मेरे पास कभी पैसे नहीं रहे, लेकिन मेरे पास सुन्दर सी लाल जूतियों का एक जोड़ा था. वे लाल जूतियाँ मेरे पैरों को दस्ताने की तरह फिट आतीं थीं. उन सुन्दर हलकी एड़ी वाली जूतियों से मेरे पैर प्रेम करते थे. बेटी के पैदा होने के बाद जब मैंने उन्हें पहनने की कोशिश की मेरे पैर उसमे समाये नहीं. जबकि खुली चप्पलें ठीक ही आ रही थीं. मुझे लगा डिलीवरी के बाद पैरों में water rentetion और मोटापे की वजह से जूतियाँ नहीं पहन पा रही हूँ.
समय के साथ यह सब भी चले गए. पैर पतले हो गए लेकिन लाल जूतियाँ अब भी पैरों में नहीं आ रही थी. मैंने गूगल सर्च किया, अपनी डॉक्टर से बात की. उन्होंने बताया बच्चे के पैदा होने बाद औरत की हड्डियाँ फैल जाती हैं. इससे अब आपको पहले से एक या दो साइज बड़ी जूतियों की ज़रुरत होगी. मेरे पास अच्छी तरह फिट होने वाली कुछ और जूतियाँ थीं. लाल जूतियों के साथ उनमे से कोई मुझे फिट नहीं आयी. अब आगे से मुझे नई जूतियों की ज़रुरत होगी यह सोचकर मैंने लाल जूतियाँ दान कर दी. लेकिन फिर मैंने लाल जूते नहीं ख़रीदे. मेरा मन अब खरीदने का नहीं कर रहा. मुझे पुरानी जूतियाँ याद आ रही है.
मैं हमेशा कहती थी "इन्सान के पास एक जोड़ी लाल जूते तो होने ही चाहिए "...अब मेरे पास लाल जूते नहीं हैं. ज़िन्दगी का कोई हिस्सा ख़ाली है.
मैं यह कहकर खुद को दिलासा देती हूँ कि इस संसार में न जाने कितने ही लोगों के पैर एकदम ख़ाली हैं. मुझे इस बात का एहसास भी है कि कम से कम मेरे पास चप्पलें तो हैं. लेकिन अब भी मैं जहाँ लाल जूते देखती हूँ मेरी नज़र वहां ठहर जाती है.
(चित्र गूगल से लिया गया है एवं प्रतीकात्मक है )
No comments:
Post a Comment