Sunday, July 28, 2019

कवि और ईश्वर

कवि और ईश्वर में नित होड़ चलती है. ईश्वर नए दुःख बुनता है. कवि उस दुःख को उसके बराबर सुन्दरता गढ़ कर जीत लेता है. ईश्वर मुस्कुराता है और फिर नया दुःख गढ़ देता है.


 दुःख के बिना कवि और ईश्वर दोनों बेरोजगार हो जायेंगे.


एक फिल्म का दृश्य

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